जबलपुर - शोभापुर पहाड़ी में पिछले दो माह से 24 घंटे पहाड़ को तोड़कर प्लॉटिंग का खेल खुलेआम चल रहा है। कलेक्टर से लेकर नगर निगम व वन विभाग के अधिकारियों को भी इस बात की भनक है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के मामूली जुर्माने से प्लॉटिंग वालों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि वे अब 24 घंटे पहाड़ों को तोड़कर करोड़ों का मुनाफा कमाने के लालच में प्राकृति धरोहर को भी नुकसान पहुँचाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। इतना ही नहीं यहां से गुजरने वाले भारी वाहनों से हादसे का खतरा भी बना हुआ है।
यह सब कारनामा यहां रहने वाले कुछ बिल्डरों के इशारे पर चल रहा है। बताया जाता है कि इनके द्वारा करीब सात एकड़ की पहाड़ी को तोड़कर यहां प्लॉटिंग की जा रही है। जबकि यह भूमि वन विभाग की है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों से सांठगांठ करके वन विभाग की भूमि को अपने नाम करा लिया गया है। जिसमें नीचे से लेकर ऊपर तक जमकर पैसा खिलाया गया है। अब आलम यह है कि इस अवैध प्लॉटिंग को रोकने वाला कोई नहीं हैं। क्षेत्रीय लोगों ने इस प्राकृति धरोहर को बचाने के लिए कलेक्टर से लेकर नगर निगम कमिशनर तक से शिकायत की लेकिन मामूली से हर्जाने के बाद मामला ठंडा पड़ते ही फिर से यह गोरखधंधा शुरू हो गया।
प्रशासनिक अधिकारियों से मिली भगत
सरकार प्राकृतिक धरोहर का सहेजने के लिए तरह तरह की कोशिश कर रही है। लेकिन इनके ही कर्मचारी इन कोशिशों पर पानी फेर रहे हैं। जानकारी के अनुसार इस प्लॉटिंग को रोकने के कई बार आदेश दिए जा चुके हैं। लेकिन हर बार किसी न किसी प्रशासनिक अधिकारी ने भू-माफिया के साथ मिलकर इस प्लॉटिंग के खेल को हरी झंडी दे दी।
एसडीएम ने किया था कैंसल
2017 में एसडीएम ने 2400 स्केव्रर फीट प्लॉट के डायवर्सन पर रोक लगा दी थी। लेकिन एसडीएम के छुट्टी में जाने के बाद एक दिन के लिए पदभार ग्रहण करने वाले अधिकारी पांडे ने रांतों रात इस पहाड़ को खेल मैदान बताकर डायवर्सन को हरी झंडी दे दी।
पांच सौ पेड़ काटे
चंद रूपयों के लालच में भू-माफियाओं ने पहाड़ में लगे पांच सौं पेड़ों का भी कत्ल कर दिया। पर्यावरण को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी थी। लेकिन इसके बाद भी सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का उलंघटन करते हुए रातों-रात पहाड़ में लगे करीब पांच सौ पेड़ों को काट दिया गया।
किसी विभाग ने नहीं दी अनुमति
इस मामले में कहा जा रहा है कि यहां पर पहाड़ को तोड़कर प्लॉटिंग करने की अनुमति न तो कलेक्टर ने दी, न नगर निगम ने और न ही वन विभाग ने। लेकिन इसके बाद भी खुलेआम चल रहे इस प्लॉटिंग के खेल की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।
राकेश सैनी पर्यावरण प्रेमी शिकायतकर्ता