सांप काटने पर भ्रांतियों से बचें, जरूरी उपाय तथा इलाज करें


स्वास्थ्य विभाग से एडवाईजरी जारी


मण्डला 2 अगस्त 2020
 मुख्य चिकित्सा एवं स्वा. अधिकारी श्रीनाथ सिंह ने सर्पदंश से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी की है। जारी एडवाईजरी में उन्होंने कहा है कि बरसात के दिनों साँप काटने के केस अत्यधिक सामने आते हैं। साँप काटने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। सांप काटने को अनदेखा ना करें। सांप के काटने पर व्यक्ति को झाडू-फूंक करने की बजाय उसे तुरन्त नजदीकी अस्पताल लेकर जायें। सांप के दांत के नीचे विष की थैली होती है। सांप काटने पर थैली के माध्यम से विष सीधे शरीर के खून में फैल जाता है। सामान्यतः जहरीले सांपों के काटने पर दांतों के दो निशान अलग ही दिखाई देते है। गैर विषैले सांप के काटने पर दो से ज्यादा निशान हो सकते हैं, परन्तु कभी-कभी ये निशान नहीं दिखाई देते हैं। ज्यादातर सांप गैर विषैले भी होते हैं। 
 सांप के काटने पर प्रारंभिक तौर पर करीब-करीब 95 प्रतिशत मामलों में पहला लक्षण नींद का आना होता है। इसके साथ ही निगलने या सांस लेने में तकलीफ होती है। आमतौर पर सांप काटने पर आधे घंटे बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं। 


सांप के काटने पर यह न करें -


  सांप के काटने पर उस स्थान को रस्सी से ना बांधे तथा ब्लेड से ना काटें। पारम्परिक तरीकों का इस्तेमाल न करें। मुंह से खून ना चूसे। ओझा या कुनिया के पास न जायें। सर्पदंश से प्रभावित व्यक्ति को नदी में प्रवाहित न करें तथा अन्धविश्वास में न पड़े। 


बचाव के लिए तत्काल ये करें -


  सांप के काटने के पश्चात् उस व्यक्ति को ठीक होने का भरोसा दें। घटना के तथ्यों का पता लगायें। गीले कपड़े से डंक की जगह की चमडी को साफ करें, जिससे उस स्थान पर लगा विष निकल जाये। सर्पदंश से प्रभावित व्यक्ति को कई बार उल्टी भी होने लगती है इसलिए उसे करवट सुलायें। ताकि उल्टी श्वसनतंत्र में न जाने पाए। जिस स्थान पर सांप ने काटा है उस पर हल्के कपडे़ से बांध दें। ताकि हिलना डुलना बंद हो जाये। 
उपचार के लिए सलाह -
 सांप द्वारा काटे गए व्यक्ति को तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाने की व्यवस्था करें। सर्पदंश की स्थिति में व्यक्ति को बचाने के लिए अस्पताल में निःशुल्क एंटी स्नेक इंजेक्शन लगाया जाता है। इसी प्रकार डॉक्टर दवारा दी गई सलाह के अनुसार व्यक्ति का उचित उपचार करायें। सर्पदंश से बचने के लिए अंधेरे में न जायें। बिलों में हाथ न डाले। झाड़ियों में न जाये। पानी भरे गड्ढे में न जाये तथा पैरों में चप्पल और जूते पहनकर चलें।


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