नगरनिगम अधिकारियों के लापरवाही के क़िस्से तो आजकल आम बात हो गई है इस बार लापरवाही कि एक और मिशाल करती जबलपुर नगरनिगम जहाँ इन अधिकारियों ने एक मृत व्यक्ति के परिजनों को उसी का जन्म प्रमाण-पत्र थमाते हुए शासकीय कार्यों के प्रति अपनी जिम्मेदारी की मिसाल पेश की है।
मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले जहां पर नगर निगम मुख्यालय ने 27 जून 2020 को मृत, हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता का मृत्यु प्रमाण जारी करने की जगह जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिया। मृतक के परिजनों
ने जब यह प्रमाण पत्र देखा तो वे भी चौन्क गए।
ये मामला तीनपत्ती नगर निगम मुख्यालय 13 नंबर जोन कार्यालय का है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री गीता शरद तिवारी के राइट टाउन निवासी रिश्तेदार सत्यनारायण मिश्रा जी का 82 वर्ष की उम्र में 27 जून को निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार रानीताल मुक्तिधाम में किया गया। अंत्येष्ठि के बाद मुक्तिधाम से निधन सर्टिफिकेट भी दिया गया। और इसी के आधार पर नगर निगम से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।
नगर निगम के 13 नंबर जोन कार्यालय से सत्यनारायण मिश्र के मृत्यु प्रमाण पत्र की जगह जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। जिसमें बकायदा उपरजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु के हस्ताक्षर व सील साइन किए गए हैं। स्व.सत्यनारायण मिश्र हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता थे।
जन्म मृत्यु शाखा में फर्जीवाड़ा किये जाने की लंबी समय से शिकायतें आ रही थी। और यह कोई पहला मामला नहीं है। बल्कि ऐसे कई मामले है..जिनमे कई बार जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के मामले सामने आ चुके हैं।
इस पूरे मामले में नगर निगम आयुक्त ने बताया कि यह एक बड़ी लापरवाही है। सबसे पहले जारी किए गए गलत प्रमाण पत्र में सुधार कराया जाएगा।साथ ही
मृत्यु प्रमाण की जगह जन्म प्रमाण पत्र जारी करने के मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
अनूप कुमार सिंह,निगमायुक्त
13 नंबर जोन में पदस्थ अधिकारियों की माने तो जन्म की जगह मृत्यु प्रमाण पत्र का फॉर्मेट आ जाना एक तकनीकी त्रुटि वश हुआ है। अधिकारियों की माने तो अक्सर हो रही लिंक फेलियर की समस्या के चलते यह गलती हुई ही। अगर किसी भी प्रमाण पत्र जारी करने के दौरान लिंक फैल हो जाये । तो सॉफ्टवेयर स्वतः ही पूरी प्रोसेस को पिछले फार्मेट से जोड़कर
प्रोसेस को पूरा करता है। आवेदक के मृत्यु प्रमाण पत्र के दौरान भी ऐसी ही स्थिति के बनने की बात कही जा रही है।