*मनरेगा के कार्यों में भारी लापरवाही मस्टर पर मजदूर मौके पर मशीनें और अधिकारी भी बने जानकर भी अनजान*
दमोह जिले की तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में मजदूरों की बजाय मशीनों से हो रहा मनरेगा के कार्य*
*विशाल रजक तेन्दूखेड़ा/दमोह!* मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी ग्राम पंचायतों के नुमाइंदे अपनी मनमानी पर उतारू है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा मनरेगा के कार्य मशीनों से ना कराए जाने के निर्देश देते हुए मजदूरों को रोजगार गांव में ही उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए थे लेकिन जनपद के अधिकारियों की मिलीभगत और कमीशनखोरी के चलते ग्राम पंचायतों में रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत मनरेगा के कार्य मशीनों से कराए जा रहे हैं मशीनों से होने वाले कार्यों की भी शिकायत आए दिन होती रहती है लेकिन जनपद पंचायत के जिम्मेदार अफसर कोई भी कार्रवाई ना करते हुए अपने कमीशन में मुख्यमंत्री के निर्देशों की धज्जियां उड़ाने में लगे हुए हैं
*मस्टर पर मजदूर मौके पर मशीनें*
दमोह जिले के अंतर्गत आने वाली जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा में सभी जगह चल रहे मनरेगा के कार्यों में मस्टर पर मजदूर कार्य करते दिखाये जा रहे हैं लेकिन जबकि हकिकत कुछ और ही अधिकांश ग्राम पंचायतों में मशीनों से कार्य किया गया है वर्तमान में एक मशीनों से ही सभी निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं कई पंचायतों में पूर्व में किये गये कार्य में भी मजदूरों को मजदूरी करते हुए कागजों में दिखाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर मजदूर गांव में बेरोजगार बैठकर शासन की योजनाओं का लाभ मिलने की बाट जौहता नजर आ रहे हैं जबकि ग्राम पंचायतों में पदस्थ ग्राम रोजगार सहायक मजदूरों की महती योजना मनरेगा में पलीता लगाने से नहीं चूक रहे हैं और मजदूरों को काम देने की बजाए फर्जी मस्टर भरकर खूब मलाई खा रहे हैं
*मजदूरों के बजाय मशीनों से कार्य*
आपको बता दें कि दमोह जिले की जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा केअंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में जमकर कमीशनखोरी हुई है जिसके चलते गरीब मजदूरों को उन्हीं के गांव में ही काम नहीं मिला है और अब वो हर रोज अधिकारियों की नजरों के सामने ही वाहनों से जबलपुर जिले के लिए रोपा लगाने के लिए पलायन कर रहे हैं और अपनी जान दावं पर लगा रहे हैं लेकिन क्या करे जब जनपद पंचायत के अधिकारियों और अफसरों की मिलीभगत और कमीशनखोरी है तो गरीब मजदूरों को पंचायतों में कैसे काम मिलेगा आपको बता दें कि तेन्दूखेड़ा ब्लॉक की ग्राम पंचायत पतलोनी ग्राम पंचायत सुनवाही उमरिया ग्राम पंचायत समदई ग्राम पंचायत बोरिया ग्राम पंचायत महगुवांकलां ग्राम पंचायत धनेटामॉल ग्राम पंचायत बमनौदा ग्राम पंचायत हरदुआ इन सभी पंचायतों में मनरेगा के जितने भी विकास कार्य कराए गए हैं इन पंचायतों में मजदूरों की जगह रातों रात जेसीबी मशीनों से से काम कराया गया है जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साफतौर पर निर्देश थे कि रोजगार गारंटी योजना एवं मनरेगा तहत पंचायतों में मजदूरों को रोजगार के तहत काम दिया जाए लेकिन पंचायतों के सरपंच सचिव रोजगार सहायक एवं अधिकारियों की मिलीभगत से सीएम के निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है
*मजदूरों के लिए विशेष रूप से शुरू हुए थे काम*
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी मनरेगा योजना में शासन की मंशा अनुसार ग्राम पंचायतों में मजदूरों को वर्ष भर में सौ दिन रोजगार देने का प्रावधान किया गया है जिसके तहत ग्रामों में मजदूर इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकें तो पंचायतों में किये जाने वाले निर्माण कार्यों में कार्य कर मजदूरी प्राप्त कर सकते है कोरोना महामारी से जहां पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था जिसके बाद बाहर से आए मजदूरों को अपनी अपनी पंचायत में काम मिले इस मंशा से सरकार ने मनरेगा के काम शुरू करवाएं थे लेकिन जिस प्रकार से यह योजना सीएम द्वारा शुरू की गई थी जिसका लाभ बाहर से आए मजदूरों को उन्हीं की पंचायतों में मिले लेकिन ग्राम पंचायतों के सरपंच सचिव और रोजगार सहायक द्वारा पंचायतों में मशीनों से काम कराए जा रहे हैं और कामों में फर्जी मस्टर भरकर मजदूरों का काम देना दर्शाया जा रहा है ऐसे स्थिति में मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है और वो अब पलायन के लिए विवश नजर आ रहे हैं इस योजना में मजदूरों का भुगतान मजदूर के सीधे बैक खाते में पहुंचता है लेकिन मनरेगा में पंचायत स्तर पर ग्राम रोजगार सहायक द्वारा फर्जी तरीक़े से मस्टर रोल तैयार कर उन नामों को शामिल किया जाता है जिन मजदूरों ने किसी भी तरह की मजदूरी नहीं की है यदि देखा जाये तो वर्तमान समय में पंचायत स्तर पर कहीं कहीं 10 या 20 नही सैकड़ों की संख्या में मजदूर पोर्टल पर मजदूरी करते बताये जा रहे हैं
*अफसरों के दावों की अब खुलने लगी है पोल*
जनपद में बैठे और सरकार की तनख्वाह ले रहे अधिकारियों की अब पोल खुलने लगी है क्योंकि तेन्दूखेड़ा की अधिकांश ग्राम पंचायतों में हजारों प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने का दम भर रहे थे लेकिन अब जमीनी हकीकत कुछ और ही है अफसरों के ये दावे सिर्फ कागजी साबित हो रहे हैं और कागजों में प्रवासी मजदूर मजदूरी करते नजर आ रहे हैं जब हमारी टीम ने मौके का मुआयना किया तो इन सभी पंचायतों में वहां कोई भी मजदूर कार्य करता नहीं मिला ना ही नजर आए सिर्फ जेसीबी मशीनों के टायरों के निशान नजर आ रहे थे और लोगों से चर्चा की गई तो पता चला कि यहा तो रात के समय में जेसीबी मशीन चल रही थी लेकिन अब हकीकत कुछ और ही है जहां प्रवासी मजदूरों के नाम पर इन सभी पंचायतों में लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा कागजों में चल रहा है मनरेगा के जॉबकार्डधारी मजदूर कागजो में कार्य कर रहे हैं जबकि यह कार्य पूर्व में ही मशीनों से रातों रात हो चुके हैं अब पंचायत के नुमाइंदे घर बैठकर फर्जी मस्टर डालकर लाखों रुपए की राशि हड़पने की तैयारी में है और अधिकारियों को अपने अपने कमीशन की
*अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है*
दमोह जिले की जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा की इन ग्राम पंचायतों में प्रवासी मजदूरों को गांव में ही रोजगार देने के नाम पर फर्जीवाड़ा अनवरत रुप से जारी है अधिकांश पंचायतों में मजदूरों को कागजो में रोजगार दिया जा रहा है लेकिन धरातल में मशीनों का उपयोग चल रहा है लेकिन तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत की इन सभी पंचायतों में मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है जिम्मेदार अफसर अपने आफिसों में बैठकर मनरेगा की मॉनिटरिंग कर रहे हैं या यू कहें की उन्हीं के संरक्षण में यह फर्जीवाड़ा पनप रहा है
*जिम्मेदार छीन रहे हैं मजदूरों का हक*
शासन द्वारा प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए ग्रामों में रोजगार गारंटी के तहत काम ग्राम पंचायतों द्वारा कराया जाता है मगर पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा एवं जिम्मेदारों द्वारा मनमानी कर मजदूरों का हक छीना जा रहा है इसे पंचायतों के कर्ताधर्ताओं का रौब कहे या फिर अफसरों का संरक्षण पर बल देना शिकायतों के बाद कार्रवाई न करना अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है
वहीं इस संबंध में किसी भी अधिकारियों से चर्चा करना जरुरी नहीं समझा गया है क्योंकि अधिकारियों द्वारा सिर्फ जांच करने या फिर दिखवा लेते हैं यह आश्वासन दिया जाता है और कार्रवाई कुछ होती नहीं है लेकिन अभी भी कुछ इन पंचायतों के काले कारनामों का जल्दी ही खुलासा किया जाएगा