जबलपुर संस्कारधानी के सपूत ने
घुटना प्रत्यारोपण कर रचा इतिहास..
ना केवल चलना बल्कि सायकिल चला रहा है उपचार के बाद मरीज़
चमत्कारिक प्रयास सफल कर दिखाया हमारी संस्कारधानी के चिकित्सकों ने।
जो लोग कहा करते थे, कि बेहतर स्वास्थ्य सेवा(इलाज) के लिए मुम्बई अथवा नागपुर ही जाना चाहिए । यह ख़बर खासतौर पर उन्ही के लिए है। जबलपुर के डॉक्टर ने पूरे देश मे अपने हुनर का लोहा मनवा दिया एवम् उन रूढ़िवादी धारणाओं को गलत साबित कर दिया है। जिनमे अक्सर लोग मरीज के परिजनों को बेहतर जोड़ प्रत्यारोपण के लिए जबलपुर से बाहर जाने की सलाह दिया करते थे।
दोनों घुटनों के सफल प्रत्यारोपण के बाद सफलतापूर्वक न केवल बिना किसी सहारे चलने बल्कि सायकिल भी चलाने वाले देश के पहले मरीज हैं नागेन्द्र जिनके दोनों घुटने का ऐतिहासिक सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया मेडिकल कॉलेज जबलपुर के डॉक्टर सचिन उपाध्याय ने।
इस कमाल की शल्य चिकित्सा को पूर्ण करके प्रत्यारोपण के क्षेत्र में जबलपुर का नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज बहुत आगे निकल गया है। मेडिकल कॉलेज जबलपुर के जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. सचिन उपाध्याय की मिनिमल मोरबिडिटी रिप्लेसमेंट टेक्नीक (एम.एम.आर.टी.) ने नया इतिहास रच दिया है।
जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ सचिन उपाध्याय ने दावा किया है कि भारत में सबसे पहले दोनों घुटनों के सफल प्रत्यारोपण सर्जरी के कुछ समय पश्चात नागेन्द्र सिंह बिना किसी सहायता के अपने गांव की उबड़-खाबड़ सड़कों पर साइकिल चलाने लगे। सीधी निवासी नागेन्द्र सिंह चौहान के घुटना प्रत्यारोपण का आपरेशन मेडिकल कॉलेज में नि:शुल्क किया गया है। जबकि घुटना प्रत्यारोपण के लिए निजी अस्पताल लाखों रुपए वसूलते हैं।
पंद्रह सालो से दोनों घुटनों में असहनीय दर्द एवं विगत पांच महीनों से बिस्तर पर रहते हुए सीधी जिला निवासी नागेन्द्र सिंह चौहान अपना जीवन गुजार रहे थे और इस दौरान हालात और भी गंभीर हो गए। श्री चौहान पूरी तरह बिस्तर पकड़ चुके थे, लेकिन जोड़ प्रत्यारोपण के बाद उन्हें नया जीवन मिला। सालों बाद वे सीधे खड़े हो सके। कुछ महीने पहले सीधी जिले के 60 वर्षीय श्री नागेन्द्र सिंह चौहान एवं उनके परिजन मेडिकल कॉलेज के जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ सचिन उपाध्याय के संपर्क में आए।
मरीज की समस्त जांचों के पश्चात परिजनों को बताया गया की मरीज को आर्थराइटिस होने के कारण उसके दोनों घुटने जाम एवं टेड़े हो गए हैं एवं मरीज के दोनों घुटनों को बदलना होगा। साथ ही मरीज का ऑपरेशन इस परिस्थिति में बेहद मुश्किल होगा। मरीज एवं उनके परिजनों की अनुमति के पश्चात डॉ सचिन उपाध्याय एवं उनकी टीम ने एमएमआरटी तकनीक का उपयोग करते हुए जोड़ प्रत्यारोपण किया। मरीज़ पूरी तरह से स्वस्थ्य है एवं कुछ ही समय में टीम के मार्गदर्शन में मरीज बिना किसी सहायता के अपने गॉव की उबड़ खाबड़ सड़को पर साइकिल चलाने लगा। साथ ही घुटने के दर्द की कष्टदायी पीड़ा से मरीज को मुक्ति मिल गई।
डॉ. सचिन उपाध्याय ने बताया है की देश में एमएमआरटी तकनीक द्वारा दोनों घुटनों के प्रत्यारोपण के पश्चात कुछ ही समय के बाद बिना किसी सहारे के सड़क पर साइकिल चलाने वाले नागेन्द्र सिंह देश के पहले मरीज हैं। घुटनों के इस तरह खराब होने को आर्थराइटिस कहा जाता है। भारत में इससे लाखों लोग प्रभावित हैं।
देश भर के मरीजों में जागी उम्मीद की किरण
श्री नागेन्द्र की दास्तां भारत के लाखों आर्थराइटिस के मरीजों में एक सकारात्मक उर्जा का संचार करेगी और लोगों को बताएगी की जोड़ प्रत्यारोपण के बाद भी मरीज एक अच्छी एवं खुशहाल जिंदगी जी सकता है।
जोड़ प्रत्यारोपण के बाद मिले नए जीवन के लिए नागेन्द्र सिंह एवं उनके परिजनों ने डॉ सचिन उपाध्याय एवं उनकी टीम को शुक्रिया कहा।
इनका रहा अहम योगदान
इस प्रकार की सर्जरी में मेडिकल कॉलेज के अस्थि रोग विभाग एवं एनेस्थेसिया विभाग का अहम योगदान रहा। यह सर्जरी निजी हॉस्पिटल में करवाने में लाखों खर्च होते है। सर्जरी डीन डॉ. प्रदीप कसार, संचालक डॉ. तिवारी एवं अस्थि रोग विभागाध्यक्ष डॉ. वर्मा एवं डॉ सचिन उपाध्याय के अथक प्रयासों के कारण पूरी तरह नि:शुल्क हुई है।