नई दिल्ली। गौतम अडानी के नेतृत्व वाली अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) को दुनिया का सबसे बड़ा ठेका मिला है। मंगलवार को एजीईएल ने बताया कि उसे सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) दो गीगावाट क्षमता के उपकरण विनिर्माण संयंत्र की स्थापना करने और आठ गीगावाट बिजली उत्पादन क्षमता का विकास करने के लिए 45,000 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट मिला है। कंपनी ने बताया कि इस ठेके से 4 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा होगा। बता दें कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किसी घरेलू कंपनी को दिया गया यह दुनिया का सबसे बड़ा ठेका है।
बता दें कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किसी घरेलू कंपनी को दिया गया यह दुनिया का सबसे बड़ा ठेका है। एजीईएल के मुताबिक अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया से अपनी तरह का पहला मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ा ठेका हासिल किया है। यह पुरस्कार कॉन्ट्रैक्ट के मामलों में सबसे बड़ा पुरस्कार है जो 45,000 करोड़ (6 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का एकल निवेश लायेगा। इस परियोजना के जीवनकाल में 900 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड को भी विस्थापित होगा।
बता दें कि इस कॉन्ट्रैक्ट के बाद एजीईएल के पास अब संचालन, निर्माण या अनुबंध के तहत 15 गीगावाट क्षमता होगी जिससे एजीईएल 2025 तक सबसे बड़ी नवीकरणीय कंपनी बन जाएगी। कंपनी को मिला अब तक का यह सबसे बड़ा ठेका है जो इसे 2025 तक 25 गीगावाट की क्षमता के अक्षय उर्जा को स्थापित करने में मदद करेगा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत के बाद यह सबसे बड़ा ऐकल निवेश है जिसको घोषणा मंगलवार को हुई है।
जलवायु परिवर्तन को लेकर पीएम मोदी ने विश्व के सामने सोशल उर्जा का विकल्प रखा है। उसी दिशा में भारत द्वारा उठाया गया यह एक महत्वपूर्ण कदम है। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने इस सफलता के बाद कहा, इस अवार्ड के लिए एसईसीआई द्वारा चुने जाने पर हम गर्व महसूस कर रहे हैं।
दिग्गज कारोबारी गौतम अडाणी ने बड़ा बयान दिया है। अडाणी के मुताबिक अगले पांच साल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी अहम हैं। जिसमें सोलर सेक्टर में चीनी कंपनियों का दबदबा बिल्कुल खत्म हो जाएगा। साथ ही रोजगार के नए अवसर भी तैयार होंगे। ये प्रोजेक्ट काफी अहम हैं, जिसमें वो 45 हजार करोड़ का निवेश कर रहे हैं। मौजूदा वक्त में चीन के सोलर उपकरणों की भारतीय बाजार में हिस्सेदारी 90 फीसदी है। इस प्रोजेक्ट से तीन से पांच साल में चीन की हिस्सेदारी बहुत ही कम रह जाएगी। सोलर एनर्जी के क्षेत्र में होगा चीन का दबदबा कम I